बैटरी क्या है? सम्पूर्ण जानकारी [2023] - What Is Battery In Hindi

बैटरी कितने प्रकार की होती है, कैसे काम करती है, बनाने में क्या क्या लगता है,  (battery kya hai, what is battery in hindi, kise kahate hain)

आज कल विद्युत ऊर्जा का प्रयोग हर  क्षेत्र में  होता है, मानव जाती के लिए विद्युत ऊर्जा बहुत अहम जरूरत बन गई है, जैसे व्यक्ति हवा और भोजन के बिना नहीं रह सकता, ठीक वेसे ही विद्युत ऊर्जा के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। 

बैटरी भी विद्युत ऊर्जा का श्रोत है, बैटरी DC करेंट देती है, इसलिए बैटरी का प्रयोग उन जगहो पर किया जाता है जहाँ पर AC करेंट न होने पर भी उपकरण को प्रयोग में लाया जा सके जैसे 4 पहिया वाहनो में लाइट के लिए और उनको स्टार्ट करने के लिए, ट्रेन के डिब्बो में, और हमारे घर मे बहुत से उपकरणो में भी बैटरी का प्रयोग किया जाता है, घरों में इन्वर्टर के माध्यम से बैटरी के DC करेंट को AC की बदल कर घरेलू विद्युत उपकरणो को प्रयोग में लाया जाता है।   

पहले के अपेक्षा आज के समय के बैटरी ने बहुत तरक्की की है। तो आज हम बैटरी के बारे में बात करते है की बैटरी क्या है या बैटरी किसे कहते है, बैटरी का इतिहास आविस्कार आदि के बारे में जान ने की कोशिश करेंगे।

    बैटरी क्या है -battery in Hindi

     बैटरी ऊर्जा का एक बहुत अच्छा श्रोत है, जो एक या एक से अधिक सेल से मिलकर बनाई जाती है, फिर उन सेलों के अंदर ऊर्जा प्रवाहित की जाती है, जिस से उनके सेलों में एल्क्ट्रो केमिकल रिएक्शन होता है, जो केमिकल एनर्जि को इलैक्ट्रिकल एनर्जि मे बदल कर उस एनर्जि को स्टोर कर लेते हैं, जिसे हम जरूरत पड़ने पर उस एनर्जि को प्रयोग कर लेते है। बैटरी के हर सेल में दो प्रकार की प्लेट मौजूद होती हैं जिन्हे Cathode और Anode कहा जाता है।


     

    अब एक सेल को  दूसरे सेल से perlal या series में जोड़कर बैटरी बनाई जाती है, बैटरी का पॉज़िटिव टर्मिनल (+) कैथोड होता है और इसका नेगेटिवे टर्मिनल (-) एनोड होता है, इन दोनों प्लेट के बीच एलेक्ट्रोन्स का प्रवाह Negative से Positive की तरफ होता है। 

    जब बैटरी का एनोड और कैथोड  किसी बल्ब या किसी और सर्किट से जुड़ा होता है, तो एनोड और इलेक्ट्रोलाइट के बीच एक chemical reaction होता है, इस Reaction के कारण इलेक्ट्रॉन सर्किट के माध्यम से प्रवाहित होते हैं और कैथोड में वापस जाते है, जिस से हमको DC करेंट प्राप्त होता है। 

    जब Chemical Reaction में केथोड या एनोड में कोई रिएक्शन नहीं होता तब बैटरी में कोई करंट फ्लो नहीं होता, तब हम “DEAD” बैटरी शब्द का इस्तेमाल करते है।

    बैटरी एनर्जि स्टोर की एक पोर्टेबल उपकरण होने के कारण इसे आसानी से एक स्थान से दुसरे स्थान तक लाया ले जाया जा सकता है।

    बैटरी का इतिहास (History of Battery):-

    सन 1780 में एक इतावली जीव वेज्ञानिक लुइगी गैलवानी ने देखा की जब दो अलग-अलग प्रकार की धातु एक मृत मेंढक के पैर के संपर्क के आते है, अचानक दोनो धातुओ के बीच विधुत प्रवाह होने के कारण मृत मेंढक का पैर हिल गया जब से ये माना जाता है की बैटरी सिद्धांत की यह पहली खोज थी।  

    पार्थियन बैटरी आविष्कार

    1936 में बगदाद शहर के पास एक नई रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान 2000 साल पुराने एक प्राचीन मकबरे की खोज की गई थी, वहाँ कुछ अवशेष मिले, इन अवशेषों के बीच सील किए गए कुछ मिट्टी के जार थे, जिनमे एक लोहे की छड़ थी जो तांबे की चादर से बनी नली से घिरी हुई थी।

    जब खोजकर्ताओं ने इन बर्तनों को एसिड से भर दिया, तो उन्होंने लोहे और तांबे हल्का सा करंट महसूस किया जो लगभग 2 वोल्ट था, तब उन लोगो को इन मिट्टी के जार में 2000 साल पुरानी बैटरी कोशिकाएं होने का संदेह था, उन्होंने पॉट का नाम पार्थियन बैटरी रखा।

    वोल्टा बैटरी का आविष्कार

    उसके बाद, एलेसेंड्रो वोल्टा ने कार्डबोर्ड के टुकड़े के बीच एक तांबे की डिस्क और एक जिंक डिस्क को नमक के पानी में भिगोया और तांबे और जस्ता के बीच potential difference पाया इसी सिद्धांत से उन्होंने 1800 में, उन्होंने पहली बार वोल्टाइक सेल विकसित की,यह प्रणाली एक औसत दर्जे का करंट पैदा कर सकती है, इस प्रकार, बैटरी का इतिहास शुरू हुआ।

    डेनियल सेल का आविष्कार

    लेकिन वोल्टाइक सेल के साथ मुख्य समस्या यह थी कि यह लंबे समय तक करंट नहीं दे सकता था, 1836 में एक ब्रिटिश आविष्कारक जॉन एफ डैनियल ने इस समस्या को हल किया जिसे डेनियल सेल के रूप में जाना जाता है, उन्होंने ने एक जस्ता रॉड को एक कंटेनर में जस्ता सल्फेट में डुबोया, और एक तांबे की छड़ी को तांबे के सल्फेट में दूसरे कंटेनर में रखा, इन्होने एक U के आकार का salted bridge इन दो कंटेनरों के बीच लगाया, इस प्रकार एक डेनियल सेल 1.1 वोल्ट का उत्पादन कर सकता है, और इस प्रकार की बैटरी वोल्टाइक की तुलना में लंबे समय तक चलती है

    Led-acid बैटरी का आविष्कार

    1839 में, सर विलियम रॉबर्ट ग्रोव ने ईंधन सेल को डिजाइन किया इसने पर्याप्त शक्ति नहीं दी, लेकिन यह मददगार है, बंसेन (1842) और ग्रोव (1839) ने बैटरी में वृद्धि की, जिसने बिजली की आपूर्ति के लिए तरल इलेक्ट्रोड का उपयोग किया, 1859 में गैस्टन प्लांट ने पहले Led-acid बैटरी सेल विकसित किया, Led-acid बैटरी पहली रिचार्जेबल बैटरी थी, यह बैटरी सबसे ज्यादा कार में प्रयोग की जाती है।

    बैटरी के भाग ( Battery Parts In Hindi ) :- 

    बैटरी के कुछ मुख्य पार्ट्स होते है, जिनसे मिलकर Battery बनती है

    • एनोड (Anod)
    • कैथोड (cathode)
    • इलेक्ट्रोलाइट (electrolyte)
    • सेपरेटर (separator)
    • केसिंग (casing)

    एनोड (Anod) :- 

    एक बैटरी में एनोड और इलेक्ट्रोलाइट के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया से एनोड में इलेक्ट्रॉनों का निर्माण होता है। ये इलेक्ट्रॉन कैथोड में जाना चाहते हैं, लेकिन इलेक्ट्रोलाइट होने के कारन नहीं जा सकते।

    एनोड बैटरी का नेगेटिव पॉइंट (-) भी कह सकते है।


    कैथोड (cathode):- 

    बैटरी में, कैथोड में या उसके आसपास रासायनिक प्रतिक्रिया एनोड में उत्पादित इलेक्ट्रॉनों का उपयोग करती है। इलेक्ट्रॉनों को कैथोड तक पहुंचने के लिए सिर्फ बैटरी से जो सर्किट जुड़ा हुआ है। उसी के Threw इलेक्ट्रान केथोड तक पहुंच सकते है।

    कैथोड बैटरी का पॉजिटिव पॉइंट(+) भी कह सकते है।

    इलेक्ट्रोलाइट (electrolyte):-

    इलेक्ट्रोलाइट अक्सर एक तरल पदार्थ में होती है, जो एनोड और कैथोड पर होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं के बीच आयनों को ले जाने का कार्य करती है। इलेक्ट्रोलाइट एनोड और कैथोड के बीच इलेक्ट्रॉनों के बहाव को भी रोकता है, बैटरी के संचालन में इलेक्ट्रोलाइट बहुत महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि इलेक्ट्रॉन इसके माध्यम से नहीं गुजर सकते हैं, सिर्फ बेटरी से जुड़े हुए सर्किट जैसे बल्ब फैन या और कोई और सर्किट माध्यम से यात्रा करने के लिए मजबूर किया जाता है जो एनोड को कैथोड से जोड़ता है। 
     

     

    सेपरेटर (separator):- 

    Separator एक porous materials हैं जो एनोड और कैथोड को एक दूसरे से टच करने से रोकता हैं, जिससे बैटरी में शॉर्ट सर्किट नहीं होता। 
     
    Also read:- Mcb kya hoti hai

    Separator नायलॉन, पॉलिएस्टर, कार्डबोर्ड और विभिन्न मेटेरियल से बनाया जा सकता है।
    Separator chemically रूप से किसी के साथ कोई reaction नहीं करता।

    केसिंग (casing):- 

    बैटरी के कवर को हम केसिंग बोल सकते है ये प्लास्टिक लकड़ी आदि के हो सकते है। वैसे बहुत सी कंपनी प्लास्टिक का केसिंग use करती है. ये बहुत किफायती और मजबूत होती है। अब आप जरूर समझ गए होंगे Battery kise kehte hai. आगे हम जानते है बैटरी कितने प्रकार की होती है।

    बैटरी के प्रकार (Battery Types In Hindi) :-


    • प्राइमरी बैटरी (non chargeable battery)
    • सेकेंडरी बैटरी (Rechargeable battery)

    प्राइमरी बैटरी (non chargeable battery) :- प्राथमिक कोशिकाओं में उच्च घनत्व होता है और Slowly discharge होती है। क्यों की इनके अंदर कोई तरल Liquid नहीं होता। इसलिए इसको Dry battery के नाम से भी जाना जाता है। इसकी प्रारंभिक लागत सस्ती होती है। और इसे दोबारा चार्ज नहीं किया जा सकता मतलब ये Rechargeable नहीं होती।


    सेकेंडरी बैटरी (Rechargeable battery) :- Secondry battery में energy कम होती है। और ये Liquid और wet cell की बनी होती है। इसकी प्रारंभिक लागत अधिक है। और इसे दोबारा चार्ज किया जा सकता मतलब ये Chargeable होती है।


    Conclusion:-

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