राष्ट्रीय ध्वज tiranga kya hai:- Hello dosto aaj main aapke liye bahut acchi jaankari lekar aaya hu jisse padne ke baad aap acche se samajh jayenge ki राष्ट्रीय ध्वज tiranga kya hai aur isko designed kisne kiya dosto इस बार हमारा भारत 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। लाल किले से लेकर देशभर में सभी जगह इस मौके पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर लोग भारत माता और तिरंगे को सलामी देते है। विश्व में भारत की पहचान का एक प्रतीक हमारा तिरंगा है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से मिलकर बना है। इसलिए इसे तिरंगा भी कहते हैं। इस तिरंगे के बीचो बीच एक गोल चक्र है। तिरंगे के हर रंग से लेकर चक्र और चक्र में मौजूद तीलियों की संख्या तक सब कुछ देश के लिए प्रतीक की तरह है। लेकिन कभी आपने सोचा कि भारतीय तिरंगे
को बनाया किसने है? वह कौन है जिसने पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर तिरंगे को डिजाइन किया होगा ? और क्यों तिरंगे को ही भारत का राष्ट्रीय ध्वज माना गया? तिरंगे में शामिल रंगों का क्या मतलब है? भारत के राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी कई रोचक बातें हैं, जो आपको नहीं पता होगी। गणतंत्र दिवस के मौके पर जानिए भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने वाले शख्स के बारे में और इसे राष्ट्रीय ध्वज की मान्यता दिए जाने की वजह और राष्ट्रीय ध्वज के बारे में । अतःराष्ट्रीय ध्वज tiranga kya hai aur isko designed kisne kiya के बारे मे पूरी जानकारी के लिए आर्टिकल अंत तक पढ़ें।
राष्ट्रीय ध्वज tiranga kya hai |
राष्ट्रीय ध्वज tiranga kya hai कब और किसने किया तिरंगे को डिजाइन
Who Designed Indian Flag
तिरंगा का इतिहास कुछ इस प्रकार है तिरंगे का निर्माण पिंगली वेंकैया ने किया था। सन 1921 में ध्वज का निर्माण किया था। भारत के लिए एक ध्वज का निर्माण करना आसान नहीं था। पिंगली वेंकैया ने 1916 से 1921 तक बहुत से देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया, जिसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। उस समय के तिरंगे और आज के तिरंगे में थोड़ा फर्क है। तब यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। उसके बाद गांधी जी ने भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्वि करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा अंकित करने का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव पारित होने के बाद तिरंगे में लाल, हरा और सफेद रंग हुआ करता था। वहीं चरखे के चिन्ह को इसमें जगह दी गई थी। लेकिन 1931 में तिरंगे झंडे मे फिर से संसोधन हुआ और के बाद लाल रंग को हटाकर उसकी जगह केसरिया रंग कर दिया गया।
पिंगली वेंकैया कौन थे?
Who is Pingali Venkayya
भारत का मान बढ़ाने वाले तिरंगे को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे। वेंकैया आंध्र के मछलीपत्तनम के पास एक गांव में रहते थे। 19 साल की उम्र में वेंकैया ब्रिटिश आर्मी के सेना नायक बन गए। बाद में दक्षिण अफ्रीका में पिंगली वेंकैया की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। महात्मा गांधी से मुलाकात के बाद उनमें देश सेवा का भाव जाग्रत हुआ और वो अपने देश वापस आ गए। उन्होंने ब्रिटिशों के खिलाफ आवाज उठाते हुए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया।
कब तिरंगा बना राष्ट्रीय ध्वज
तिंरगे को भारतीय ध्वज के तौर पर मान्यता मिलने में करीब 45 साल लग गए। चरखे के जगह अशोक चक्र को ध्वज में शामिल किया गया। 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को अपना लिया गया। उसके बाद इसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर फहराया जाता है।
तिरंगे के भाग
तिरंगा झंडे में 2 चीजे मुख्य हैं।
- राष्ट्रीय ध्वज रंग (colors of national flag)
- अशोक चक्र (Ashok chakr)
राष्ट्रीय ध्वज के रंग
तिरंगे में मौजूद तीन रंग हैं- केसरिया, सफेद और हरा। तीनों रंगों का अपना विशेष महत्व है। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है। सफेद रंग शांति और सच्चाई को दर्शाता है। वहीं हरा रंग संपन्नता का प्रतीक है। जब तिरंगा डिजाइन किया गया था, तब लाल और हरे रंग को हिंदू- मुस्लिम का प्रतीक और सफेद रंग को अन्य धर्मों के प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत किया गया था। तिरंगे में सफेद रंग पर नीले रंग में सम्राट अशोक के धर्म चक्र चिन्ह के तौर पर बना है।
अशोक चक्र
अशोक चक्र को कर्तव्य का पहिया कहा जाता है, जो की सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। जिसमें शामिल 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं।
तिरंगे के सम्मान में क्या करें क्या न करें
राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम कुछ इस प्रकार है।
· ध्वज को सम्मान देने के लिए ध्वज को फहराया जाता है। जिस परिसर मे ध्वज को फहराना है वो जगह बिलकुल साफ सुथरी होनी चाहिए।
· जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए।
· अगर जहाँ रोज ध्वज लगाया जाता है वह का यह नियम होता है की सूर्यास्त के बाद सम्मान पूर्वक ध्वज को उतारा जाता है। हमे यह ध्यान रखना चाहिए की ध्वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। ध्वज को पर्दें या वस्त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है।
· किसी अन्य ध्वज को हमारे ध्वज से ऊंचे स्थान पर लगाया नहीं जा सकता।
· भारत के संविधान मे निजी नागरिकों को भी अपने परिसरों में ध्वज फहराने का अधिकार दिया गया है।
· जब भी परेड की जाती है या जब राष्ट्रगान बजाया जाता है, तो ध्वज को सलाम करें। जो वर्दी में नहीं हैं, उन्हें ध्यान से सीधे खड़े होकर,बायां हाथ बगल में,और दाहिना हाथ दिल पर रखकर ध्वज को दिल से आदरपूर्वक सलामी देनी चाहिए।
Conclusion
दोस्तों आज post में आपने svanidhi yojna के बारे में पढ़ा । में आशा करता हूँ, आप लोगों को svanidhi yojna के बारे में समझ आ गया होगा। उम्मीद करता हूँ आपको ये पोस्ट जरूर अच्छी लगी होगी। अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ निचे दिए गए social media handle button से ज़रूर share करे। दोस्तों हमारे द्वारा दी गयी जानकारी में हमसे कोई भी कमी हुई हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में svanidhi yojna की इस पोस्ट के बारे मे हमें कमेंट में जरूर बताए। की आपको ये दी गई जानकारी कैसी लगी धन्यवाद।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के नागरिकों की आशाएं और आकांक्षाएं दर्शाता है। यह हमारे राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। पिछले पांच दशकों से अधिक समय से सशस्त्र सेना बलों के सदस्यों सहित अनेक नागरिकों ने तिरंगे की शान को बनाए रखने के लिए निरंतर अपने जीवन न्यौछावर किए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box.